किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

बस रोने को ही जी चाहता है।


 

बस  रोने  को   ही   जी   चाहता  है

जाने  क्या खोने  को  जी  चाहता है। 


बचा   नही   कुछ    भी    अब   मेरा

जाने किसका होने को जी चाहता है। 


लिपट  कर  रोती  है  ये रात भी रात भर

जाने किसके संग सोने को जी चाहता है। 


दौलत खूब कमाया उदासी और तन्हाई भी

जाने  किस   खजाने  को   जी  चाहता  है। 


इर्ष्या  द्वेष  कलह  फ़सल  सारी  तैयार  है

जाने कौन सा बीज बोने को जी चाहता है। 


ओढ़  ली   कफ़न   खुद   से   रूबरू   होकर

जाने कौन सी चादर ओढ़ने को जी चाहता है।

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