किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

ख़्वाब के इंतज़ार में


 ख़्वाब के इंतज़ार में

ख्वाब के इंतजार में 

सारी रात गुजारी हमने। 

चाहत इश्क की थी, और 

की नींद से मारा मारी हमने।

बुलंदियां त्याग चाहती थी

की वक्त से साझेदारी हमने

मुकम्मल मंजिल न हुयी

की खुद से गददारी हमने।

सज़ा के लिये था तैयार 

की दिखायी होशियारी हमने 

रच दिया सडयंत्र ऐसा 

की न आने दी अपनी बारी हमने।

• रामानुज "दरिया" -

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