किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

कोशिश-ए-अहसास।


ये  हवा  तू  उसके  पास  जाना
जुल्फों को उसके ज़रा सहलाना
आंखों  में  इक   फूंक  लगाकर
मेरे  होने  का  अहसास  कराना।

ये खुशबू तू भी उसके पास जाना
सांसों  में  उसके  ज़रा घुल जाना
कैद   कर    लाना    साथ   अपने
उसकी महक का अहसास कराना।

ये   काज़ल   उसके   पास   जाना
बनकर सुरमा आंखों में लग जाना
ज़रा  सा  साथ   अपने   ले  आना
मेरी आँखों में उसकी छवि दे जाना

रामानुज "दरिया"



 

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