किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

मेरे गांव को तूने शहर कर दिया।


 रिश्तों  में  कैसा  जहर  भर  दिया

मेरे  गांव  को  तूने शहर कर दिया


चाँद - ए - दीदार  को मैं आतुर था

वक्त  ने  फिर से दोपहर कर दिया।


पसीने  छूट  रहे  हैं  बदल  के भी

जुल्फों  ने  ऐसा  कहर  कर दिया।


आँवांरगी  का  मज़ा  ही  अलग  है

ख़्वावों ने रेत का शहर कर दिया।


सरफिरे  शायरों  का  रहमों  करम है

जो गुलाबी ओंठ को नहर कर दिया।


रोंक  क्या  सकेंगी ज़माने की बंदिशें

भले  पहरा  सातों  पहर  कर  दिया।





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