किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

बस करवटों में गुजरती हर रात जिंदगी।

 


घुटन सी होती है अब तेरे साथ ज़िन्दगी

जी चाहता है छोड़ दूं कायनात जिंदगी।


पग - पग गर छलने का ही रिवाज़ है यहाँ

जी चाहता है मिटा दूं  हर पाथ जिंदगी।


तेरे संग आंखों ने देखे जो ख्वाब मेरी जान

देखो न किस क़दर गुजरती हर रात जिंदगी।


पहली भी तुम और आखिरी भी तुम्हीं थी

न समझ सकी तुम इत्ती सी बात जिंदगी।


बिरह का एक पल एक बरस स लगता है

क्यूं छोड़ गयी तुम ऐसे हालात में जिंदगी।


सुलाने और जगाने भी कोई नहीं आता

बस करवटों में गुजरती हर रात जिंदगी।


मेरी होकर भी तुम मेरी नहीं हो सकती

देख ली मैंने विवशता-की-साख जिंदगी।


         "दरिया"


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