किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

क्यूँ ख़्वाब को ख्वाब रहने दिया जाये।



एक हौंसला और 'पर' को दिया जाये

क्यूँ ख़्वाब को ख्वाब रहने दिया जाये। 

रूख हवा का भी मोड़ सकती हो तुम
यूं जुल्फों को जो खुला रहने दिया जाये।

ठान लो, की ऊंचाइयां कमतर दिखेंगी
क्यू न सीढियां एक एक कर चढ़ा जाये।

तमाम उम्र निकल ही जाती है सोंचने में
क्यू न इसे कल पर छोड़ दिया जाये।

यकीं मानो चाँद राहें निहारेगा आपकी
क्यूं न तारों को आज समेट लिया जाये।

थक गये हो गर अपनों के लिये जीते-जीते
क्यूं न एक बार अपने लिये जिया जाये।

गर तसल्ली नहीं मिलती अपने कर्मों से
क्यूं न इक बार राहें बदल लिया जाये।

"दरिया"

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