किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

ओ भी गुजर गयी पास से।

 आस जगी थी इक खास से

ओ भी गुजर गयी पास से।

जो भी आया सांत्वना दे गया
न रूबरू हुआ मेरे अहसास से।

भले न चल सके दो कदम साथ
पर मिली थी अंदाज़-ए-झकास से।

अभी चंद बातें ही तो हुयी थी उससे
चला गया मैं अपने होशोहवास से।

कल चाँद भी शर्मा गया शाम को
छत पर गयी थी ,अंदाज़-ए-खास से।

उसके सिवा न अब कोई दिल मे आये
धड़कनों में मिल जाये मेरी सांस से।

तब भी खाली था और आज भी
हो गये दिल-ए-अहसास बक़वास से।





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