किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

बस भाव बदल गये हैं।

 ओ बातें अब नहीं होती

न प्लीज़ प्लीज़ न सॉरी
न ऑनलाइन होने की चिंता
न गुड नाईट की बारी
न लफड़े न झगड़े
न दोस्ती न यारी।
रह गयी तो बस उदास
जिंदगी और समझदारी
न मॉर्निंग वॉक पे आना
न घंटों बतियाना
न चिढ़ना न चिढ़ाना
बस पैसे की बात और
तनख्वाह सारी।
रिस्ते भी वही हैं
बस भाव बदल गये हैं
पहले बातों बातों
जितना भाव खाते थे
उतना तो सुबह उठ
कर अब कुल्ला करते हैं
बचपन छूट गया
पड़ गयी जवानी भारी।
"दरिया"

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