किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

लगता है की इश्क मेरा अब।

 करना चाहूं कितना भी गलत

ज़मीर खबरदार ही कर देगा।
लगता है की इश्क मेरा अब
मुझे बरबाद ही कर देगा।

करने से नहीं ग़ालिब यहां
कहने से ही बदनाम होगा
गलियां इश्क की है "दरिया"
आगाज से ही अंजाम होगा।

रिश्ते की सीमायें तो सिर्फ
हमे ही पता है साहब
दूर से देखने वाला यहां
जाने क्या क्या इल्जाम देगा।
"दरिया"

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