किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

लाजबाब हो तुम।



मेरे इश्क की आखिरी किताब हो तुम
              लाजवाब से भी ज्यादा लाजवाब हो तुम।

                मालूम, तारीफ़ सुनने को बेताब हो तुम
               मेरी शायरी के हर शब्द का ख्वाब हो तुम।

               झकझोर देगी तुम्हे ये खामोसी भी मेरी
              मेरे बेचैन सवालों का भी जवाब हो तुम।

                उतार लूँ चांद को जमीं पे गर कहो तुम
               मेरे दिल पर हुकूमत-ए- नवाब हो तुम।

               लौट भी आओ कि दिल बहुत उदास है
           'दरिया' की रोजी रोटी का हिंसाब हो तुम।
                                 "दरिया"

Comments

Unknown said…
Nice.......

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