किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

यादों के संग - संग।

लट छितरे बिखरे से परे  हैं
जैसे सागर साहिल से लरे हैं
नाक पे पड़े हैं नथिया बनकर
बालों में सजे हैं गजरा बनकर
चंचल सी यह पवन चली है
जैसे दरिया खुशबू की बही है
कंचन सी यह देह तुम्हारी
केशु से अंग सजे सवंरे हैं
मोती से आज नहायी हुई हो
 य लिप्टिस के सारे फूल झरे हैं ।।
       "दरिया"

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