किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

अदभुत नज़ारा।

मैं तो बस यूं ही बालकनी में खड़ा था लेकिन अचानक से मेरी नजर जब उस तरफ गई तो मैं चौंकन्ना स रह गया ओ अदभुत नजारा जो मैं शायद पहली बार देख रहा था ओ भी इतना करीब से ।ओ मूड बना रहा था या बना रही थी यह तो मैं ठीक से कन्फर्म नहीं हूँ लेकिन एक एक स्टेप जो एक एक करके खोल रहा था और उससे बनने वाली ओ छबि क्या कहना जिसे भगवान ने इतना सारा कुछ दिया हो उसको फिर किस चीज़ की कमी हो सकती है भला।अपनी मस्ती में झूम झूम कर प्रकृत के भविष्य का वर्णन जिस तरह कर रहा था कोई कवि या लेखक क्या खाक ऐसा कर सकता है और जो एक बार घूम जाता तो पूरा मौसम झूम उठता ये कोई कहने वाली बात नही है इसका जीता - जागता उदाहरण है कि शाम को means अभी खूबसूरत रिम - झिम बारिस धरा के बदन को भिगो रही थी। मौसम का यह पूर्वानुमान शायद इससे बेहतर कोई लगा सकता हो अगर हम गूगल और विज्ञान की बात न करें तो।
एक मोर जो जुल्फ रूपी अपने पंख को जिस मस्ती में लहराता और नाच रहा था देख के मेरा ही नहीं बल्कि वहाँ मौजूद सभी लोग मूरीद हो गए। टक - टकी लगा के सब बस उसे ही देख रहे थे जो खुले दिल से मौसम को न्योता दे रहा था।
यह वही मोर है साहब जिसे भारत सरकार ने भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोसित कर रखा है आखिर कुछ तो बात रही होगी शायद यही वजह हो सकती है।
ऐसा नहीं कि भारत सरकार ने ही मोर को इतनी तवज़्ज़ो दी है इससे पहले भी भारत मे मोर को इससे भी ज्यादा ख्याति प्राप्त है जैसे कि भगवान श्री कृष्ण के मुकुट पर लगा मोर का पंख इससे कहीं ज्यादा महत्त्व को दर्शाता है, महाकवि कालिदास ने मेघदूत में मोर को राष्ट्रीय पक्षी से भी बढ़कर दर्जा प्राप्त है।सदियों से राजा महाराजाओं को सबसे पसंदीदा पक्षी मोर रहा है। प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के राज्य में जो सिक्के चलते थे उसके एक तरफ मोर बना होता था और तो और मुगल बादशाह शाहजहाँ जिस सिंघासन पर बैठते थे उसकी संरचना मोर जैसी ही थी जिसका नाम 'तख्त-ए-ताऊस' था ताऊस एक अरबी शब्द है जिसका मतलब मोर होता है।

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