किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

हिंसाब होकर रहेगा।

उठी है कलम तो,
हिंसाब होकर रहेगा।
मिलेगी सुरक्षा वर्दी को
साथ वकीलों के ,
न्याय होकर रहेगा।
चीखता रहे जनमानस
भले ही ऑक्सीजन खातिर
प्रदूषण प्रकृति के साथ
अब पूर्णतयः होकर रहेगा।
लाल किले से दहाड़ने वाला शेर
भले ही मौन हो जाये,
बदली बन प्रदुषण धरा पे छा जाए
अंगारें उठती रहें,
भले ही वकीलों के हाहाकार से
भले दिल्ली वाला मफ़लर
गले मे ठिठुर कर रह जाये
लेकिन उठी है कलम तो,
हिसाब होकर रहेगा।
'दरिया'

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