किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

बस यही हर बार पूंछती थी।

बस  यही  हर  बार  पूंछती  थी
जो लिखते हो कहानी किसकी है।

करते  मुहब्बत  मुझसे  हो  फिर
अंगूठी    निशानी  किसकी     है।

दवा  भी  तुम दुआ भी तुम फिर
छटपटाती    जवानी  किसकी  है।

याद   नहीं   करते     हो   फिर
फ़िज़ा   में  रवानी  किसकी   है।

अब मीडिया भी अपने हाथ में है
हस्ती बनानी, मिटानी किसकी है।

बजबजाती नालियों से जान लो
गाँव    में  प्रधानी   किसकी   है।






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