किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

तड़पी मैं, रात खुद से हुयी।

जब  भी  बात  तुझ  से  हुयी
तड़पी  मैं, रात  खुद  से  हुयी।

जब  भी  घन  धरा  की  हुयी
रोयी  मैं, बारिस  खुद से हुयी।

जब  भी  जवानी  प्रेम में हुयी
रही  मैं, कहानी  खुद  से हुयी।

जब   भी   छुआ   उसने  मुझे
भड़की   मैं, पानी  पानी  हुयी।

जब  भी नयनों में लड़ाई हुयी
जीत  गयी  मैं, हारी हारी हुयी।

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