किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

ऐसा मंजर हो गया था।

तुम सोंच नहीं सकते दरिया कि
ओ  कितना  करीब  हो    गया
पैंतरे ही ऐसे लगाता था ओ कि
उसका सफल तरक़ीब हो गया ।

था चार दिनों का अनुभव मात्र
चालीस  दिनों  को  मात  देता
कुछ इस कदर संभाला उसने कि
हर विभाग का नसीब हो गया ।

रख  सकते  हो  कब  तक  दरिया
तुम  गुमराह   करके   किसी  को
तेरे   काम  का लहज़ा बता रहा था
जाने का वक्त कितना करीब हो गया

उसके  प्रवेश  मात्र   से   ही
ऐसा   मंजर  हो  गया    था
हर किसी के लिये हर कोई
चुभता  खंजर  हो  गया था।

माना  कि   तुम  कहना चाहते हो
किसी  की   चुगली नहीं कि उसने
सच्चाई  ये  है   कि कोई बचा नहीं
जिसके पीछे उंगली नहीं कि उसने

यूं   तो  छा  गये  थे   गुरु
आसमां में बादल की तरह
पर  बहते  देर   न  लगी
आंसुओं संग काज़ल की तरह।

ऐसा   कुछ  बचा   नहीं
उसने   जो  किया न हो
जगह   कोई  बची   नहीं
जलाया जहां दिया न हो।

क्या  कुछ  नहीं किया उसने
बस  छोड़कर  काम  अपना
बताया  है खुद को उनके संग
बस  जोड़कर  नाम   अपना।

काम करने के तरीके और लगन ने
उसे   पलकों   पे    बिठा   दिया
पता    ही    नहीं     चला     कब
गिराने वाले ने उसे धूल चटा दिया।

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