किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

वरना रख्खा ही क्या है इश्क के फसाने में।

हार   गया   हूँ  मैं  खुद   को   समझाने में
वरना रख्खा ही क्या है इश्क के फसाने में।

तलब सी हो गयी है मुझे तेरे इस चेहरे से
वरना  हजारों   मरती  हैं   इस  जमाने में।

मुझे   यूं  ही  मोहब्बत   नहीं  हुयी  तुमसे
कोशिश तुमने भी की है दिल को सजाने में।

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