ईंट - ईंट बजते हैं, पत्ती फूल बनकर आई है
ऐसा लगता है ITI में कोई परी सी उतर आई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है….….……...............
अघ्यापक भी मुस्कुराते हैं
बच्चे भी खिल - खिलाते हैं
कर्मचारियों का तो क्या कहना
इनकी क़िस्मत भी तो चमक आयी है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है.......…..
बच्चे हैं सब समय से आते
जूता मोजा भी पहन के आते
सब तो अब हैं ड्रेस में आते
बिल्ला भी खूब लटकाई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है...
पेंड़ पौधे हैं रंगे जाते
ईंट पत्थर भी गंगा नहाते
नालियों की बात न पूंछो
इनकी भी तो खूब सफाई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है..
अघ्यापक हैं सब समय से आते
अनुशासन का पाठ सिखाते
नौ बजे गेट बंद हो जाता
फिर पांच ही बजे विदाई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है.....
गर इक दिन नहीं आते तो एप्लिकेशन हैं लाते
गर हफ़्ते बीत गये तो मेडिकल के संग में आते
महीनों की बात न पूंछो इसमें नामों की खूब कटाई है
ये तो साहब की अंगड़ाई है......….........
अध्यापक क्या क्या गुर सिखाते
भेली को हैं गुरु बनाते
जब भी ओ मौका हैं पाते
दो चार को बैठाते
फिर प्रशनों की खूब पुंछाई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है..
जिधर देखो उधर ITI ही ITI है
इलेक्ट्रीशियन की लिखाई है
या फिटर जॉब कटाई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है......
जब से सुना, ITI की साइट बनने को आई है
कभी ऊपर कभी नीचे, केवल फोटो की खिंचाई है
इसमें भी हमारे व्यवसाय की लड़कियों ने धूम मचाई है
ये तो साहब की अंगड़ाई है.......................
राधे कहता मैं भी सीखूं,कोयल कहती मैं भी
राधे ने बाँसुरी उठाई,कोयल ने कूंक लगाई है
पर दोनों के समझ न आये
एक ही दिल में कैसे अर्थिंग और सप्लाई है।
ये तो साहब की अंगड़ाई है......................
"दरिया"
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