किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

कुछ इस कदर हमने मोहब्बत का हिसाब लिख दी।

तेरे खुलते अधरों पे गीत
बंद अधरों पे प्रीत लिख दी
बताऊँ क्या तुझे मैं सनम
हारकर तुझे तेरी जीत लिख दी।

तेरी खुली जुल्फों का बादल
मटकते नयन की काज़ल लिख दी
तेरी इक इक भंगिमाओं पर
होते हृदय को पागल लिख दी।

इक - इक शब्द पर तेरे
हमने इक - इक किताब लिख दी
कुछ इस कदर हमने
मोहब्बत का हिसाब लिख दी।

तेरी हिरनी की चाल उस पर
गाल छूने का मलाल लिख दी
मिलती नजरों पर होते
अपने ख्यालों को हलाल लिख दी।

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