किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ।

कर नहीं पाता सार्थक
एक   भी   काम   हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ

सुरुआत बेहतर करता हूँ
कि कुछ बेहतर हो जाये
पर  दिमाग  के साथ  ही
करने  लगता  आराम  हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम  हूँ।

जिंदगी भी पेपर हो गयी
निकलते काम ही फाड़कर
देता  डाल   कूड़ेदान   हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम  हूँ।

बीएससी फिर एमएससी
मए  फिर  आई  टी आई
शौकीन   की  पढ़ाई  से
लगाया डिग्रीयों का जाम हूँ
मैं कंफ्यूज़  डॉट  कॉम  हूँ

लगा   दो   दांव   पर
मोहब्बत-ए-जिंदगी अपनी
छुड़ा कर हाथ महबूबा
शिश्कते हुये  कहती है
चलूं   तेरे  साथ   कैसे
अपने घर का सम्मान हूँ
मैं कंफ्यूज़ डॉट कॉम हूँ।

रो रो के कहती है ओ जब
चले भी आओ न घर अब
सोंचता हूँ  कि  अब चला जाऊं
पर अपने मालिक का गुलाम  हूँ
मैं  कंफ्यूज़  डॉट  कॉम  हूँ।
रामानुज 'दरिया'


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