किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

घुड़की से डर जाऊं ऐसा मैं शायर नहीं हूँ।

विनम्र हूँ कोमल हूँ
पर  कायर  नहीं हूँ
घुड़की से डर जाऊं
ऐसा मैं शायर नहीं हूँ।


सरल  हूँ  सहज़ हूँ
पर  लायर  नहीं हूँ
जो बोले, ओ लिखूँ
ऐसा मैं शायर नहीं हूँ।

सच   को      सच
झूठ को झूठ लिखूँ
तेरे गुलाबी लबों पर
थिरकती सुबह की धूप लिखूँ
तू जो  चाहे सिर्फ़  ओ   लिखूँ
आशिक  हूँ     तेरा
तेरे से हायर नहीं हूँ।


रूठ जाऊं,   छूट  जाऊं
तेरी बोलियों से टूट जाऊं
समझ इतनी है,
कि तू अपना है
वर्ना आग का दरिया हूँ
इक बूंद से बुझ जाऊं
ऐसा मैं फायर नहीं हूँ।
घुड़की से डर जाऊं
ऐसा मैं शायर नहीं हूँ।

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