किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

मुक़म्मल जिंदगी है जितनी।।

क्या रह गयी थी कुछ चालें
ये गम मेरे साथ चलने की।

जो कहर बन के बरसी हो
तन की सांसें झटकने की।

फ़िराक  में   रहती   है   तू
मेरा हर ख्वाब चटकने की।

बचा  ही  क्या   है  मेरे पास
सिवा दिमाग के सटकने की।

पूरी कर ले तू हर ज़िद अपनी
मुक्कमल  जिंदगी है जितनी।

क्या  पता  आ  जाये  सूरज
कब  बादल   की  चपेट  में।

और रोशनी भी चढ़ जाये
अंधेरों    की    भेंट    में।

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