किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  
आज पूँछ ही लिया उसने कौन हो तुम
पकड़ कर उंगलियां चला था जिसकी ।

छोड़ दी जिसके लिए रोजी- रोटी अपनी
ओ कहते हैं आज सुनूं मैं किस- किसकी।

चूर  थे  जिसको  उठाने  में  हम  कभी
किया चूर  उसी  ने अरमानों की  कश्ती।

रिस्क जिंदगी की लेकर साथ जिसके चले थे
वही साथ बैठना मेरे आज समझते हैं रिस्की।

'दरिया' कहे भी क्या दुनिया के दस्तूर की
चढ़ा पेंड़ पर जड़े काट लेते हैं  जिसकी।


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