किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  
काश सीखी हमने भी चमचागीरी होती
न    मुश्किलों  की  रात  अँधेरी  होती।
यूं   जाकर   ना  मैं   लौट    आता
गर  होता  हमारा  भी कोई गहरा नाता
पानी  की  मांग  पर  चाय  परोस  देता
ना  दिलों  को  उनके  जरा  खरोच देता
हर शब्द को उनके पलकों पे सजा लेता
खा कर गाली डांट जी भर के मजा लेता
काश इन कामों में दिखाई मैंने भी दिलेरी होती
न   मुश्किलों   की   रात   अँधेरी   होती।
" दरिया"

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