किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

अश्क।।

गैर थे जो अश्क बनकर आंखों से बह गये
अपने तो आंखों में ही तड़प कर रह गये।।

इक गुज़ारिश थी कि दुबारा गम न आये
पुराने गम ही दिल में अब घर कर गये।।

मनहूस जिंदगी में न बहार आयी कभी
हम घूम -घूमकर पतझड़-ए-रेगिस्तान में रह गये।।

अज़ीब दास्तां है मोहब्बत-ए-जिंदगी की
मंजिल-ए-मोहब्बत को 'दरिया' तलाशते रह गये।।

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