किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

कोई जाता है क्या ||


गरीब से रखता कोई गहरा नाता है क्या
इतना करीब से कोई जाता है क्या ||

सिस्टम ही साजिस की देन हो  तो
ईमानदार बनकर कोई रह पाता है क्या ||

प्यार जिस्म का भरा हो जब रोम -रोम में
सयंम सम्भाल कर कोई रख पाता है क्या ||

बहारें चली गयीं हो जब दूर तलक
चमन कोई मुस्कुराता है क्या ||

खिल - खिलाने के दिन दो मोहब्बत के हैं
बिरह में कोई हंस पाता क्या ||

खूबसूरत हो जिंदगी गर महबूब की तरह
मौत को कोई गले लगाता है क्या ||

साथ रहते तो हैं उम्र भर मगर 
मौत के साथ कोई जाता है क्या ||

                    रामानुज 'दरिया'







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