किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

जब बसंत के आगमन होत हैं ||


संत की भंग होत तपस्या
जब बसंत के आगमन होत हैं
महक उठे गोरी के अंग –अंग
जब पवन मंद- मंद चलत हैं
साजन- सजनी रहें संग-संग
जब सुमन को भंवर तंग करत हैं
पांव में पायल बाजे छना-छन
जब नयनों से तीर दना-दन चलत हैं
आती है गोरी जब सामने मेरे
जिया मोरा धका-धक करत है
रसालों का योवन चूस लिए
तब भंवरे कैसे भना-भन करत हैं
बगिया में कोयल कूँ –कूँ करे
जब अमुआ सब बौरे लगत हैं
किसानन कय जियरा गद-गद होय
जब गेहुवन में गलुआ लगत हैं
मनवा मां सबके पीर उठत हैं
जब बसंत के आगमन होत हैं |

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