किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

ये रोशनी अब मेरे द्वार चल ||


ये रोशनी अब मेरे द्वार चल
अंधकार में डूबी है जिंदगी
थोड़ा उस पर भी विचार कर
ये रोशनी ................................
मेरे दिल में सुलगती उसकी यादें हैं
उस पर खड़ी अब दीवार कर |
ये रोशनी ....................................
कुछ तश्वीर आंशुओं से भिगोई है ,
कुछ जख्मों को दिल में संजोया है |
रोशनी अपना तेज प्रताप कर ,
जला कर इसको अब राख कर |
ऊब गया हूँ मै इस प्रेम जाल से ,
माया से अब मुक्ति के द्वार चल |
ये रोशनी..................................
           रामानुज ‘दरिया’

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