किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

नारी उलझन नारी ही समाधान है ||

नारी के बारे में कुछ भी कह पाना मुस्किल है क्योंकि नारी का जीवन ही अपने आप में अद्भुत है फिर भी एक छोटी सी कोशिस ........................................................................
नारी वही जो नार को सताती है ,
नारी वही जो जीवन नरक बनाती है |
नारी में दुर्गा का वास है ,
नारी ही विश्वासघात है|
नारी इज्ज़त नारी ही सम्मान है,
नारी गीता नारी कुरान है |
नारी हिन्दू को भी बना देती मुसलमान है ||
नारी धर्म नारी ही लज्जा है ,
जिंदगी का श्रंगार नारी साज़ सज्ज़ा है |
नारी मानव के लिए भगवान का वरदान है ,
नारी उलझन नारी ही समाधान है |
नारी नरत्व की खान है ,
नारी पुरुस के समान है |
नारी सुबह की पहली किरण है ,
नारी जिंदगी की महकती शाम है |
हर तरफ नारी का नाम है ,
नारी ही समाज में बदनाम है|
नारी जन्म दाता है ,
नारी भाग्य बिधाता है |
नारी अर्चन नारी बंदन ,
नारी धरा की पहचान है |
नारी बिन जीवन सूना समसान है ||
नारी सृस्टी नारी विनाश है ,
नारी धरती पर ही नरक वाश है |
नारी त्याग नारी तपस्या है ,
नारी का ही एक रूप वैश्या है|
नारी मंथरा,कैकेयी,होलिका है ,
नारी ही जलवा देती सोने की लंका है |
नारी माता ,बहन ,भौजाई है ,
नारी भाई को भी बना देती कसाई है |
नारी गीत नारी संगीत है,
नारी संगम और प्रीत है |
नारी शराब नारी नशा है,
नारी शाम का असली मज़ा है|
नारी समर्पण, शक्ति का अहसास है,
नारी भूत-प्रेत और अंधविश्वास है|
नारी गाँव की गरीबी है ,
नारी ही गाँव का संस्कार है |
नारी शहर की अमीरी है ,
जहां नारी होती हवस जा शिकार है ||
नारी भोग नारी  विलाश है ,
नारी से पटा पूरा इतिहास है|
नारी ईर्ष्या ,द्वेश, कलह की जड़ है,
नारी ही नर की एक अकड़ है |
नारी “दरिया”  धारा किनारा है ,
नारी में डूब गया समाज का तारा है |
नारी जेठ की दुपहरी है,
नारी बारिश की पहली फुहार है |
नारी जीवन का पतझड़ है,
नारी मदमस्त पवन बहार है ||
                  रामानुज “दरिया

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