किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

कहा था लौट कर आऊंगा मैं।।


सूखे सागर को बूंद दे जाऊंगा
ख़्वाब को हकीक़त बनाऊंगा मैं
ये ताज,काज और साज तरसेंगे
फ़लक तक की सैर कराऊंगा मैं
कहा था लौट कर आऊंगा मैं।।


चमन ख़ुशबू मांगेगा
आसमां धरती निहारेगा
फिजायें इतनी नशीली होंगी
मैखाना भी नयन सिधारेगा
खूबी ऐसी देकर जाऊंगा मैं
कहा था लौट कर आऊंगा मैं।।

थी अपनी भी चाहत हकीकत का नजारा हो
कदम निकले जो घर से सारा जमाना हमारा हो
मांगे ऑटोग्राफ तो खुद को भूल जाऊंगा मैं
कहा था लौट कर आऊंगा मैं।।

                     रामनुज 'दरिया"



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