किसी का टाइम पास मत बना देना।

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बातों का अहसास मत बना देना मुझे किसी का खास मत बना देना बस इतना रहम करना मेरे मालिक  किसी का टाइम पास मत बना देना। जान कह कर जो जान देते थे ओ चले गये अनजान बन कर फितरत किसकी क्या है क्या पता बारी आयी तो चले गये ज्ञान देकर। अब होंसला दे खुदा की निकाल सकूं खुद को भी किसी तरह संभाल सकूं आसां नहीं रूह का जिस्म से जुदा होना बगैर उसके जीने की आदत डाल सकूं। हमने ओ भयावह मंजर भी देखा है किसी को टूटते हुये अंदर से देखा है अब किसी के लिये क्या रोना धोना हमने तो अब खुद में सिकंदर देखा है।  

जाने क्यूं माँ नहीं सोती है।।

छुप-छुप कर बहुत रोती है
जाने क्यूं  माँ नही सोती है

रुक -रुक कर जो चलती है
दर्द धड़कन की जान लेती है
समझती है हर अल्फाज़ को
पढ़ती न कभी पोथी है
जाने क्यूं माँ नही सोती है

कुत्ते पालने का चलन क्या हुआ
तुलसी के नीचे जलती नही ज्योती है

बुढ़ापा इस क़दर न गवांरा है
सजती अनाथालयी कोठी है
जाने क्यूं.......….

बूंद -बूंद दरिया की पहचान लेती है
बच्चों के लिए माँ आसमान होती

उतरती चाँदनी है आंगन में
नसीब माँ की जब गोदी होती है

                   रामनुज "दरिया"



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